नवरात्र में उपवास रखकर लोग अपनी मनोकामना को पूरी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ समाज सेवी अन्ना हजारे ने आमरण अनशन कर देश को भ्रष्टाचार मुक्त कराने के अपने संकल्प पर अडिग है और उनकी यही मनोकामना है कि देश को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से मुक्त कराया जाए। पूरे देश के लिए लड़ाई लड़ने वाले यह शख्स आज देश के दूसरा गांधी बन गए हैं। जिन्होंने गांधी को नहीं देखा वे अन्ना को देखकर यह अंदाजा लगा सकते हैं कि महात्मा गाधी ने किस तरह अहिंसा, आमरण अनशन और असहयोग आंदोलन का सहारा लेकर अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया था और अंग्रेजों से देश को मुक्ति दिलाई थी। उसी सदगी, ईमानदारी और नेकी के रास्ते पर चलते हुए यह अन्ना हजारे देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना चाहते हैं। उस समय लड़ाई पराए लोगों से थी लेकिन इस बार घर की लड़ाई है और घर के लोगों से ही है और इस कारण यह महायुद्ध पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल और महत्वपूर्ण है। हालांकि उनका यह महायुद्ध रंग लाने लगा है और देश की करोड़ों जनता के साथ-साथ, बुद्धिजीवी वर्ग, बॉलीवुड कलाकार, छात्र और युवा उनका भरपूर सहयोग कर रहे हैं। इसी कारण वर्तमान सरकार भी पशोपेश में पड़ गई है। अपनी नींव हिलता देख खुद गांधी परिवार की वर्तमान मुखिया सोनिया गांधी को आगे आने पड़ा। सरकार को ज्यादा फजीहत न झेलनी पड़े, इस कारण उनकी कई मांगों को मान भी लिया गया है। वहीं शरद पवार ने जीओएम से पहले ही अपने पांव पीछे खींच लिए हैं, क्योंकि वे जानते है कि मेरा दामन कितना पाक है और भ्रष्टाचार में उनका कौन सा नंबर है। खैर, भ्रष्टाचार को लेकर अगर येदि नेताओं में इस तरह की गिनती की जाए तो यह बताना मुश्किल हो जाएगा कि पहले नंबर पर किस नेता को रखा जाए। सबसे महत्वूपर्ण यह है कि इस आंदोलन का आगाज तो हो चुका है लेकिन इसका अंजाम देश की कमजोर कड़ी और विकास में बाधक बन रहे रहे भ्रष्टाचार से मुक्ति से ही होना चाहिए। यह बहुत अच्छा अवसर है जब पूरी जनता खासकर युवाओं को एक बार फिर से मौका मिला है कि वो खुद को खुदीराम बोस, भगत सिंह, सुखदेव और आजाद साबित करें और भ्रष्टाचार जैसे दैत्य से देश को मुक्त कराएं। जय हिंद!
Welcome to the desk of an Engineer......
“For an optimist the glass is half full, for a pessimist it’s half empty, and for an engineer is twice bigger than necessary.“
Friday, April 8, 2011
अन्ना बने दूसरे गांधी, गांधी परिवार ही मुश्किल में!!!!!!
नवरात्र में उपवास रखकर लोग अपनी मनोकामना को पूरी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ समाज सेवी अन्ना हजारे ने आमरण अनशन कर देश को भ्रष्टाचार मुक्त कराने के अपने संकल्प पर अडिग है और उनकी यही मनोकामना है कि देश को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से मुक्त कराया जाए। पूरे देश के लिए लड़ाई लड़ने वाले यह शख्स आज देश के दूसरा गांधी बन गए हैं। जिन्होंने गांधी को नहीं देखा वे अन्ना को देखकर यह अंदाजा लगा सकते हैं कि महात्मा गाधी ने किस तरह अहिंसा, आमरण अनशन और असहयोग आंदोलन का सहारा लेकर अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया था और अंग्रेजों से देश को मुक्ति दिलाई थी। उसी सदगी, ईमानदारी और नेकी के रास्ते पर चलते हुए यह अन्ना हजारे देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना चाहते हैं। उस समय लड़ाई पराए लोगों से थी लेकिन इस बार घर की लड़ाई है और घर के लोगों से ही है और इस कारण यह महायुद्ध पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल और महत्वपूर्ण है। हालांकि उनका यह महायुद्ध रंग लाने लगा है और देश की करोड़ों जनता के साथ-साथ, बुद्धिजीवी वर्ग, बॉलीवुड कलाकार, छात्र और युवा उनका भरपूर सहयोग कर रहे हैं। इसी कारण वर्तमान सरकार भी पशोपेश में पड़ गई है। अपनी नींव हिलता देख खुद गांधी परिवार की वर्तमान मुखिया सोनिया गांधी को आगे आने पड़ा। सरकार को ज्यादा फजीहत न झेलनी पड़े, इस कारण उनकी कई मांगों को मान भी लिया गया है। वहीं शरद पवार ने जीओएम से पहले ही अपने पांव पीछे खींच लिए हैं, क्योंकि वे जानते है कि मेरा दामन कितना पाक है और भ्रष्टाचार में उनका कौन सा नंबर है। खैर, भ्रष्टाचार को लेकर अगर येदि नेताओं में इस तरह की गिनती की जाए तो यह बताना मुश्किल हो जाएगा कि पहले नंबर पर किस नेता को रखा जाए। सबसे महत्वूपर्ण यह है कि इस आंदोलन का आगाज तो हो चुका है लेकिन इसका अंजाम देश की कमजोर कड़ी और विकास में बाधक बन रहे रहे भ्रष्टाचार से मुक्ति से ही होना चाहिए। यह बहुत अच्छा अवसर है जब पूरी जनता खासकर युवाओं को एक बार फिर से मौका मिला है कि वो खुद को खुदीराम बोस, भगत सिंह, सुखदेव और आजाद साबित करें और भ्रष्टाचार जैसे दैत्य से देश को मुक्त कराएं। जय हिंद!
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